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एक दूसरे से प्यार करते थे अंकिता और शाहरुख, दुमका मर्डर केस में बड़ा खुलासा, त्रिकोणीय लव स्टोरी

एक दूसरे से प्यार करते थे अंकिता और शाहरुख, दुमका मर्डर केस में बड़ा खुलासा, त्रिकोणीय लव स्टोरी


प्रेम त्रिकोण में अंकिता की हुई थी हत्या : लालू प्रसाद के शासन काल में ही मैं पत्रकार बना था जंगलराज को लेकर मेरा जो अनुभव रहा है कि ऐसा नहीं था कि गांव गांव में शहाबुद्दीन ,साधु और सुभाष पैदा हो गया था और हर किसी को रंगदारी देना पड़ता था और ऐसा भी नहीं था कि शाम होते ही घर के दरवाजे बंद हो जाते थे। हांं एक बात जो देखने को मिलता था वह था समान्य घटना को भी जातीय नैरेटिव से जोड़ कर सामने वाले को केस मुकदमें में फंसाने का खेल खुब चलता था और इस खेल में स्थानीय विधायक से लेकर राजद और वामपंथी दल से जुड़े कार्यकर्ता बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे इसके कारण बहुत सारे निर्दोष लोग लालू प्रसाद के शासन काल में जेल गये लेकिन उस समय शासन के इस खेल के साथ खड़ा नहीं था और सच को उजागर करने के लिए आगे बढ़ता था इसके कारण भी राजद के सभा में खुल्लम खुल्ला मीडिया को गाली पड़ती थी।


 

नीतीश कुमार अभी तक बिहार की राजनीति में प्रासंगिक इसलिए बने हुए हैं कि लोगों को भरोसा है कि जाति के आधार पर जो खेल होता था वह नीतीश के मुख्यमंत्री रहते नहीं होगा। लेकिन आज जाति की जगह धर्म ले लिया है और आज निशाने पर मुसलमान है जैसे लालू के राज में निशाने पर सवर्ण था हालांकि उस दौर में भी पत्रकारिता करना बहुत ही मुश्किल था झूठी घटना को इस तरह से प्रचारित किया जाता था कि बहुत मुश्किल होता था कि सच्ची खबर चला कर नैरेटिव पर रोक लगा दे लेकिन उस दौर में मीडिया सरकार के इस तरह के खेल का हिस्सा नहीं था लेकिन जो आज धर्म के नाम पर जो नफरत फैलाने का खेल चल रहा है उसको आगे बढ़ाने में मीडिया अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है।

 

अंकिता सिंह की हत्या को भी जिस तरीके से हवा दी गयी है यह भी एक तरह का धर्म आधारित नैरेटिव को देश स्तर पर बनाये रखने की कोशिश है अब इस हत्या की गुत्थी पूरी तौर पर सुलझ चुकी है और किसी भी समय दुमका एसपी इसका खुलासा कर सकता है

यह वीडियो जरूर देखें:

इस हत्या को लेकर देश स्तर पर दो तरह के नैरेटिव चलायी गयी है पहला एक तरफा प्यार में दिवाना शाहरुख ने अंकिता को जिंदा जला दिया और दूसरा अंकिता मामले में पोस्को एक्ट नहीं लगाया और इसकी वजह सरकार शाहरुख को बचाना चाह रही है

 

बात पहले नैरेटिव की करते हैं यह पूरी तौर पर गलत है कि शाहरुख एक तरफा प्यार में विफल हुआ तो अंकिता को जिंदा जला कर मार दिया जबकि घटना के दिन भी फोन काँल और अन्य साक्ष्य पर गौर करेंंगे तो अंकिता और शाहरुख में तीन वर्षो से रिश्ता था यह साबित करने के लिए काफी साक्ष्य है वही घटना के दिन भी 1200 सैकेंड दोनों की फोन पर बात हुई है

 

फिर ऐसा क्या हुआ जो शाहरुख अंकिता को जिंदा जला दिया इस मामले का भी उदभेदन हो गया है ।अंकिता के दूसरे ब्वाय-फ्रेंड को पुलिस ने आज पुछताछ के लिए उठाय़ा है और जो साक्ष्य पुलिस को मिला है उससे ये स्पष्ट हो गया है कि शाहरुख अंकिता के जीवन में दूसरे लड़के के दाखिल होने से काफी नराज था और घटना के एक सप्ताह पहले दिन दहाड़े शाहरुख ने इसको लेकर अंकिता के घर पहुंच कर जमकर तोड़ फोड़ किया था ।लेकिन आस पड़ोस वाले पंचायत के माध्यम से मामले को शांत कर दिया

 

लड़का ननिहाल में रहता है उसके मामा ने पंचायत में भरोसा दिया कि इसको जल्द ही दुमका छोड़ा देगे लेकिन इसी बीच कहा ये जा रहा है कि घटना के दिन पीड़िता अपने नये ब्याय फ्रेंड के साथ शहर में घूम रहा था इसी दौरान शाहरुख को उस पर नजर पड़ गयी और फिर ये सारा घटना घटित हुआ

 

इसलिए मीडिया ने जो नैरेटिव बनाया वो पूरी तौर पर निराधार है दूसरी बात पोस्को एक्ट का तो पहली बात रेप का मामला नहीं था दूसरी बात पुलिस के उम्र लिखने से कुछ नहीं होता है उम्र जज के सामने तय होता है और उसी आधार पर कोर्ट पुलिस पोस्को लगा कर भेजती भी है तो उसे कोर्ट खारिज कर देता है और नहीं भी भेजती है तो पीड़िता के 10 वीं के प्रमाण पत्र के आधार पर नावालिक है तो कोर्ट पोस्को की धारा में संज्ञान ले लेती है इसलिए मीडिया की यह दूसरी नैरेटिव भी सही नहीं है।

 

यही खेल है लेकिन इस खेल का लाभ शाहरुख को ना मिले इस पर ध्यान रखने की जरुरत है और इसके लिए सरकार और स्थानीय पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाये रखने की जरुरत है

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