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जेल में बंद पति से मिलने गई गर्भवती पत्नी की मौत, सलाखों के पीछे सुहाग को देख पल्लवी को लगा सदमा

जेल में बंद पति से मिलने गई गर्भवती पत्नी की मौत, सलाखों के पीछे सुहाग को देख पल्लवी को लगा सदमा

पति जेल में बंद था। मिलने की इच्छा थी। आठ महीने का गर्भ था। बच्चे को जन्म देने से पहले पति का चेहरा देखना चाहती थी। उसकी इच्छा का सम्मान कर परिजन उसे पति से मिलवाने जेल लेकर आए। पति से मिली। बातचीत की। सलाखों के पीछे पति को देख सदमा लगा। वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी।

 

शायद पति के दीदार के इंतजार ने ही उसकी सांसों की डोर को बांधे रखा था। गिरने के बाद 27 साल की पल्लवी के जीवन का अंत हो गया। वह अपने साथ उसे भी अपने साथ लेकर चली गई जिसने दुनिया में कदम भी नहीं रखा था। पल्लवी भागलपुर जिले के घोघा के जानीडीह की रहने वाली थी। विशेष केंद्रीय कारा में बंद अपने पति गोविंद कुमार गुड्डू से मिलने मंगलवार को जेल पहुंची थी।

 

नवंबर से पति जेल में था, पहली बार मिलने आई थी

पल्लवी का पति गोविंद पिछले साल 23 नवंबर से जेल में बंद है। पति के जेल जाने के बाद से ही वह जेल जाकर उनसे मिलने की जिद कर रही थी। परिजन उसके गर्भवती होने की हालत को देख टालमटोल करते रहे। मंगलवार को पल्लवी को साथ लेकर गोविंद से मिलने आए उसके देवर विक्की ने बताया कि कई दिनों की जिद को देख वह भाभी को साथ लेकर भाई से मिलवाने के लिए मंगलवार को विशेष केंद्रीय कारा पहुंचा था।

 

उसने यह भी बताया कि भाई के जेल जाने के बाद पहली बार उसकी भाभी मिलने आई थी। विक्की ने बताया कि उसकी भाभी भाई से बातचीत कर ही रही थी तभी अचानक वह गिर पड़ी और बेहोश हो गई। विक्की ने आशंका जताई कि पति को जेल में बंद देख भाभी को सदमा लग गया। पल्लवी और गोविंद दोनों ही घोघा के जानीडीह के रहने वाले थे।

 

पोस्टमार्टम नहीं कराया, पति को मिला एक दिन का पैरोल

पल्लवी की जेल में अचानक गिरने और बेहोश होने के बाद उसे तुरंत इलाज के लिए मायागंज स्थित अस्पताल लाया गया। वहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों के आने तक उसके शव को मायागंज में रखा गया। परिजनों ने लिखकर दिया कि उन्हें शव का पोस्टमार्टम नहीं कराना है। लिखित मिलने के बाद शव को अस्पताल परिसर से ले जाने दिया गया। पल्लवी की मौत के बाद उसके दाह संस्कार में शामिल होने के लिए उसके पति गोविंद उर्फ गुड्डू के पैरोल के लिए कोर्ट में अर्जी दी गई और एक दिन का पैरोल स्वीकार हो गया। उसके बाद गोविंद जेल से निकला और पत्नी के दाह संस्कार में शामिल हुआ।

 

विशेष केंद्रीय कारा के जेल अधीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि महिला अपने पति से मिलने आई थी। वह अचानक गिर पड़ी जिसके बाद जेल के स्टाफ ने उन्हें पानी भी दिया। अचानक महिला को क्या हुआ यह किसी को समझ नहीं आया, परिजन उसे तुरंत लेकर बाहर निकल गए थे।


घटना के समय मौजूद नहीं थे पर केस में फंसा दिया था

मायागंज पहुंचे विक्की और उसके नाबालिग भाई ने बताया कि जमीन के विवाद को लेकर उसके गोतिया में झगड़ा और मारपीट की घटना हुई थी। विक्की ने बताया कि गोविंद से पहले वह जेल गया था और कई महीने बाद जेल से बाहर आया था। उसके आने के बाद गोविंद को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। विक्की का कहना है कि जब मारपीट की घटना हुई थी तब वह और गोविंद घटनास्थल पर थे भी नहीं। उन्हें गलत तरीके से केस में फंसाया गया। उसका यह भी कहना था कि घटना को लेकर काउंटर केस दर्ज किया गया था पर उसके आवेदन पर हत्या का प्रयास की धारा नहीं लगाई गई थी।

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